SIKKIM NEWS : सिक्किम में लोनार्क झील के टूटने से बुधवार को कई इलाकों में अचानक बाढ़ आ गई। निचले क्षेत्रों में और तीस्ता नदी के किनारे बसे लोगों को अचानक बाढ़ के खतरे का सामना करना पड़ा। तीस्ता नदी का पानी जैसे कि सिंगतम और रंगपो जैसे निचले क्षेत्रों में प्रवेश किया, जिससे बाढ़ की स्थिति खतरनाक हो गई है।
सिक्किम में बीती रात को हुई बाढ़ ने कई इलाकों में भारी नुकसान मचाया, लेकिन जो सच्चाई अब सामने आ रही है, वह यह है कि इस तबाही की पीछे बादलों का फटना नहीं है। मौसम विभाग के अनुसार, सिक्किम में हुई इस तबाही की ज़िम्मेदारी ग्लेशियर के निचले इलाकों में ग्लेशियर से बनी झीलों के फटने की है, जिसे ‘ग्लेशियल लेक आउट बर्स्ट फ्लड’ (GLOF) कहा जाता है। मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि इस तरह की झीलों के फटने से आने वाले समय में और भी बड़ी आपदाएं हो सकती हैं।
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वैज्ञानिकों के अनुसार, सिक्किम में हुई इस घटना ग्लेशियल झील के फटने के तरीके की एक प्रकार की है। इसी प्रकार की घटना उत्तराखंड के चमोली में भी हुई थी। इसके अलावा, 2013 में केदारनाथ त्रासदी के पीछे भी ग्लेशियल झील के फटने की वजह थी। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण और केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय इस प्रकार की खतरनाक झीलों की पहचान और मैपिंग करने, और इनके फटने से होने वाली तबाही से बचने के लिए कठिन प्रयासों में लगे हैं।
केंद्रीय मौसम विभाग के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्र ने अमर उजाला डॉट कॉम से कहा कि सिक्किम में हाल ही में हुई बाढ़ और तबाही की वजह बादल के फटने से नहीं है। उनके अनुसार, इस तबाही की पीछे का कारण ‘ग्लेशियर लेक आउटबर्स्ट फ्लड’ है। वह बताते हैं कि यह एक प्रकार की झील होती है, जो हिमालयन इलाकों में खास तौर से सिक्किम और लद्दाख के इलाकों में ग्लेशियर के नीचे वाले हिस्से में पिघलने वाले पानी से बड़ी झील के रूप में तैयार हो जाती है। इन झीलों में पानी अधिकतम मात्रा में जमा होता है, और जब कभी यह पानी बाढ़ के रूप में अपनी सभी सीमाएं तोड़ देता है, तो सिक्किम में उसी तरीके की तबाहियां मचाता है। सिक्किम के इलाकों में इस तरह की जिलों के साथ वैज्ञानिकों का कहना है कि जब भी ग्लेशियर लेक आउटबर्स्ट फ्लड आता है, तो यह अचानक होता है और अपने बांध की संरचना को तोड़कर पूरे इलाके को खतरे में डाल देता है।
फिलहाल, जो जानकारी सामने आई है, उसके अनुसार बाढ़ की यह घटना इस तरीके से हुई है: चुंगथांग बांध से पानी का निकास कारण है, जिसके कारण नीचे की ओर 15-20 फीट तक जल स्तर अचानक बढ़ गया है। इसके परिणामस्वरूप, सिंगताम क्षेत्र के पास बारदांग में सेना के वाहन प्रभावित हो गए हैं। 23 जवान लापता हो गए हैं, और कुछ वाहनों के कीचड़ में फंसे होने की रिपोर्टें भी हैं।
मौसम विभाग के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्र के अनुसार, जो जानकारी अब तक उपलब्ध है, बादलों के फटने और बांध से पानी का निकास इस तबाही की पीछे के कारण है, और लोगों के पास वर्तमान में यही जानकारी है। हालांकि उनका कहना है कि ऐसे मामलों में जिम्मेदार एजेंसियां मदद के लिए तत्पर रहती हैं। वह बताते हैं कि ग्लेशियर लेक आउटबर्स्ट होने का तरीका और उसका पानी आने के तरीके के साथ होता है, और यदि बांध को नहीं खोला जाता, तो इससे और भी बड़ी तबाही हो सकती थी।
अब तक की जानकारी के मुताबिक, सिक्किम में लोनार्क झील के टूटने के कारण बुधवार को कई इलाकों में बाढ़ आ गई। रिपोर्ट्स के अनुसार, सिक्किम के निचले इलाकों और तीस्ता नदी के किनारे रहने वाले लोगों को अचानक बाढ़ की चेतावनी दी गई है। सिक्किम में तीस्ता नदी का पानी सुबह को सिंगतम और रंगपो जैसे निचले इलाकों में बह गया, जिससे बाढ़ की तरह की हालात बन गए। इसके अलावा, तीस्ता नदी के बढ़ते पानी से प्रतिष्ठित इंद्रेनी पुल भी बह गया, जो पूर्वी सिक्किम में सिंगतम को दक्षिण जिले के आदर्श गांव से जोड़ता है। दूसरी ओर, सिक्किम के अधिकारियों ने डिक्चू, सिंगतम और रंगपो जैसे इलाकों के निवासियों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा दिया है।
वायुमंडलीय हवा में वर्षित बर्फ और ग्लेशियर पर अद्यतित अनुसंधान करने वाले संस्थान डीजीआरई (स्नो एवं ग्लेशियर स्टडी एंड एस्टेब्लिशमेंट, पहले यह नाम था) के पूर्व निदेशक अश्वघोष गंजू कहते हैं कि ग्लेशियर लेकों की संख्या लगातार बढ़ रही है।
उनका कहना है कि ग्लोबल वार्मिंग के कारण ग्लेशियर्स पिघल रहे हैं और इसके साथ ही पिघले हुए पानी से ग्लेशियर झीलों की संख्या भी बढ़ रही है। इन झीलों में पानी जमा होता है और जब कभी यह पानी फ्लड के रूप में अपनी सभी सीमाएं तोड़ देता है, तो सिक्किम में जिस तरीके की रात को बाढ़ आई है वैसी ही तबाहियां भी मचाती हैं। इन जीलों में पानी बहुत ज्यादा जमा होता है और जब कभी यह पानी बहाव के रूप में अपनी सभी सीमाएं तोड़ देता है तो सिक्किम में जिस तरीके की रात को बाढ़ आई है वैसी ही तबाहियां भी मचाती हैं। सिक्किम के इलाके में ऐसे जिलों पर नजर रखने वाले वैज्ञानिकों का कहना है कि जब भी ग्लेशियर लेक आउटबर्स्ट फ्लड आता है, तो वह अचानक ही होता है और एक तरह के अपने बांध की संरचना को तोड़कर के समूचे इलाके को खतरे में डाल देता है।
फिलहाल अभी तक जिस तरीके की जानकारियां सामने मिल रही है। उसके मुताबिक चुंगथांग बांध से पानी छोड़े जाने के कारण नीचे की ओर 15-20 फीट की ऊंचाई तक जल स्तर अचानक बढ़ गया। इससे सिंगताम के पास बारदांग में खड़े सेना के वाहन प्रभावित हो गए हैं। 23 जवानों के लापता होने की सूचना है और कुछ वाहनों के कीचड़ में डूबे होने की खबर है।
मौसम विभाग के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्र कहते हैं कि अभी भी जिस तरीके की जानकारी यहां से मिल रही है वह यही है कि वहां पर बादल फटने की वजह से और बांध से पानी छोड़े जाने की वजह के चलते ही लोगों की जुबान पर है। हालांकि उनका कहना है कि ऐसे मामले में जिम्मेदार एजेंसियां लगातार मदद के लिए वहां पर मौजूद हैं। वह कहते हैं जिस तरीके से ग्लेशियल लेक आउटबर्स्ट हुआ और उसका पानी इतनी तेजी से आया यह एक स्वभाविक प्रक्रिया होती है और इससे बड़ी तबाहियां होने की संभावना होती है।
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