सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को उत्पाद नीति घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तारी के बाद अरविंद केजरीवाल को मुख्यमंत्री पद से हटाने की मांग वाली याचिका खारिज कर दी है। जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ ने कहा कि यह दिल्ली के उपराज्यपाल पर निर्भर है कि अगर वह चाहें तो कार्रवाई करेंलेकिन हम इस मामले में हस्तक्षेप नहीं करेंगे।
दरअसल आम आदमी पार्टी और खुद केजरीवाल जेल से सरकार चलाने की बात करते आए हैं। यहीं वजह है कि उन्होंने गिरफ्तारी के बाद भी इस्तीफा नहीं दिया है। इससे पहले दिल्ली हाई कोर्ट में इस तरह की याचिका दाखिल की गई थी। तब कोर्ट ने यह कहते हुए इसे खारिज कर दिया खा कि कोर्ट को राजनीतिक मामले में खींचने की कोशिश की जा रही है। इसी के साथ कोर्ट ने याचिकाकर्ता पर 50 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया था जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट का रुख किया गया था।
जस्टिस संजीव खन्ना और दिपांकर दत्ता की पीठ ने मामले पर सुनवाई करते हुए कहा कि अगर उपराज्यपाल चाहें तो मामले को देख सकते हैं लेकिन हम कोई दखल नहीं दे सकते। कोर्ट ने कहा, हम इस मामले में कैसे फैसला ले सकते है? कोई कानूनी अधिकार नहीं है। अगर एलजी चाहते हैं तो वो कार्रवाई कर सकते हैं।
अरविंद केजरीवाल ने तिहाड़ जेल से जमानत पर छूटने के बाद रविवार को कहा था कि बीजेपी मेरा इस्तीफा दिल्ली में सरकार गिराने के लिए चाहती थी, लेकिन मैं ऐसा होने नहीं दूंगा. उन्होंने इस दौरान दावा करते हुए कहा, ”वे दिल्ली की सरकार को नहीं गिरा सके. वे हमारे विधायकों को नहीं तोड़ सके. वे पंजाब की सरकार को खरोंच तक नहीं पहुंचा सके. पूरी योजना विफल हो गई.”