DIWALI, जिसे दीपावली के नाम से भी जाना जाता है, भारत का एक प्रमुख और प्रिय त्योहार है। यह त्योहार अंधकार से प्रकाश की ओर जाने का प्रतीक है। दीपों की यह महापर्व केवल एक धार्मिक अवसर नहीं है, बल्कि यह परिवार, मित्रों और समुदाय के बीच प्रेम और एकता का संदेश भी फैलाता है। हर वर्ष, यह त्योहार देशभर में धूमधाम से मनाया जाता है, और इसका जश्न हर वर्ग के लोगों के बीच समान रूप से फैलता है।
एक आम आदमी से लेकर एक मुख्यमंत्री तक, DIWALI का जश्न हर कोई अपने परिवार और प्रियजनों के साथ मनाता है। यह त्योहार हमें सिखाता है कि चाहे हमारी सामाजिक या आर्थिक स्थिति क्या भी हो, खुशी और उल्लास साझा करना सबसे महत्वपूर्ण है। दिवाली के दौरान, हर किसी के चेहरे पर एक खास चमक होती है, जो इस बात का प्रतीक है कि यह त्योहार केवल भौतिक संपत्ति का नहीं, बल्कि मानसिक और आत्मिक सुख का भी है।
मुख्यमंत्री श्री भूपेन्द्र पटेल ने इस बार DIWALI के मौके पर अपनी सादगी और सरलता का एक बेहतरीन उदाहरण प्रस्तुत किया।
मुख्यमंत्री श्री भूपेन्द्र पटेल ने इस बार DIWALI के मौके पर अपनी सादगी और सरलता का एक बेहतरीन उदाहरण प्रस्तुत किया। उन्होंने यह साबित कर दिया कि एक नेता भी अपनी जड़ों से जुड़ा हुआ हो सकता है। बिना किसी औपचारिकता के, उन्होंने अपने प्यारे पोते के साथ पटाखे खरीदने का निर्णय लिया। यह तस्वीर न केवल उनके व्यक्तित्व को दर्शाती है, बल्कि यह यह भी दिखाती है कि वे अपनी जड़ों से जुड़े हुए हैं और आम आदमी के बीच रहकर उनकी खुशियों का हिस्सा बनना चाहते हैं।
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श्री पटेल का यह कदम हमें याद दिलाता है कि समाज में उच्च पद पर बैठे लोग भी साधारण जीवन जीने में यकीन रखते हैं। जब उन्होंने अपने परिवार के साथ खुशी-खुशी पटाखे फोड़कर दिवाली मनाई, तो यह न केवल उनकी मानवता को दर्शाता है, बल्कि यह भी कि वे अपने परिवार के प्रति कितने समर्पित हैं। इस तरह के कार्य हमें यह सिखाते हैं कि वास्तविक खुशी उन सरल और साधारण क्षणों में है, जो हम अपने प्रियजनों के साथ बिताते हैं।
DIWALI के दौरान, हम अपने घरों को दीपों और रंग-बिरंगी सजावट से सजाते हैं। यह सजावट हमारे अंदर की सकारात्मकता और उमंग को व्यक्त करती है। रात्रि में जब हम दीप जलाते हैं, तो यह अंधकार को दूर करने और सुख, समृद्धि और ज्ञान की देवी लक्ष्मी का स्वागत करने का प्रतीक है। इसके साथ ही, पटाखों का फोड़ना भी एक परंपरा है, जो उत्सव के माहौल को और भी जीवंत बनाता है। लेकिन इस उत्सव के साथ, हमें यह भी ध्यान रखना चाहिए कि पटाखों के कारण होने वाले प्रदूषण का असर न केवल हमारे स्वास्थ्य पर, बल्कि पर्यावरण पर भी पड़ता है।
इसलिए, आज के समय में, हमें इस परंपरा को मनाने के साथ-साथ पर्यावरण के प्रति जिम्मेदारी भी निभानी चाहिए। कई लोग अब पटाखों की जगह रंग-बिरंगे मोमबत्तियाँ और दीप जलाने का विकल्प चुनते हैं, जो न केवल सुरक्षित है, बल्कि पर्यावरण के लिए भी फायदेमंद है।
DIWALI का त्योहार हमें यह सिखाता है कि हमें अपने भीतर की अच्छाई को जगाने की जरूरत है। यह एक ऐसा अवसर है जब हम अपने परिवार, मित्रों और समुदाय के साथ मिलकर प्रेम और सहयोग की भावना को बढ़ावा दें। श्री भूपेन्द्र पटेल का उदाहरण इस बात का प्रतीक है कि सादगी और सहजता के साथ-साथ, एक नेता भी अपने लोगों के बीच रहकर उनकी खुशियों में भागीदार बन सकता है।
अंत में, DIWALI का यह त्योहार हमें याद दिलाता है कि असली खुशी और समृद्धि तभी आती है जब हम अपने रिश्तों को मजबूत करते हैं और अपने आस-पास के लोगों के साथ खुशियों को साझा करते हैं। इसलिए, इस DIWALI , चलिए हम सभी मिलकर अपने जीवन में प्रेम, सहयोग और सादगी का दीप जलाएं और इसे हमेशा के लिए अपने दिल में बसाए रखें।