पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, छठ पर्व की शुरुआत द्रौपदी से मानी जाती है। यह व्रत उस समय की घटनाओं का साक्षात्कार कराता है, जब पांडवों के जीवन में अच्छे स्वास्थ्य और बेहतर जीवन की आवश्यकता थी।
द्रौपदी ने अपने पतियों के उत्तम स्वास्थ्य और राजकीय सुख-शांति के लिए छठी मईया का व्रत रखा था। उन्होंने इस व्रत के माध्यम से सूर्य देवता की पूजा कर, उनसे आपत्तियों का निवारण करने का संकल्प लिया और उनके परिवार के लिए आशीर्वाद प्राप्त करने का प्रयास किया।
इस पूजा में उन्होंने सूर्य देवता के प्रति अपनी श्रद्धा और भक्ति का अभिवादन किया और व्रत के अंत में बड़ी विधि से उन्होंने छठी मईया की पूजा की।
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इस व्रत के परिणामस्वरूप, पांडवों को उनका राजपाट वापस मिला और उनका जीवन सुखमय बन गया। महाभारत के अनुसार, छठी मईया की पूजा से आपत्तियाँ दूर होती हैं और जीवन में समृद्धि आती है।
द्रौपदी के पूजा व्रत ने दिखाया कि भक्ति, श्रद्धा, और समर्पण के साथ किए गए व्रत से हम सूर्य देवता की कृपा प्राप्त कर सकते हैं और अपने जीवन को सुखमय बना सकते हैं।
छठ व्रत आज भी हमें यह सिखाता है कि सूर्य देवता की पूजा करने से हमारी आत्मा को ऊँचाईयों की ओर ले जाने का मार्ग खुलता है और हम अपने जीवन को प्रकाशमय बना सकते हैं।
छठ पर्व: आसमानी रंग, सूर्य की देवता की आराधना और सामाजिक सांस्कृतिक समृद्धि
छठ पर्व, जो सूर्य देवता की विशेष पूजा के रूप में जानी जाती है, भारतीय समाज में एक अद्वितीय महापर्व है। इसे आसमानी रंग और अद्भुत रूप से मनाने वाले इस पर्व का महत्व बहुत ही गहरा है।
छठ पूजा का आयोजन विशेष रूप से उत्तर भारत के कुछ राज्यों में होता है, लेकिन इसका प्रभाव पूरे देश में महसूस किया जाता है। यह पर्व सूर्य देवता की पूजा के माध्यम से सृष्टि के सर्वोत्तम स्वास्थ्य और समृद्धि की कामना करता है।
सूर्य देवता को अर्घ्य देकर, घाटों के किनारे बनाए जाने वाले खास घाटों में पूजा करके, और विशेष प्रकार के व्रत और गीतों के साथ, लोग अपनी भक्ति और श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।
यह एक ऐसा समय है जब पर्यावरण और मानवता में सामंजस्य बना रहता है और लोग एक दूसरे के साथ मिलकर आनंद और समृद्धि का अनुभव करते हैं। छठ पर्व के इस महापर्व में, लोग एक दूसरे के साथ प्यार और समर्थन का सामर्थ्य बढ़ाते हैं, जो एक सशक्त और समृद्धि युक्त समाज की दिशा में एक प्रेरणा स्रोत है।
छठ पूजा के माध्यम से, हम अपने धार्मिक और सांस्कृतिक गहराईयों को समझते हैं और इसे आधुनिक जीवन में अपनाने के लिए सही मार्गदर्शन प्राप्त करते हैं।
इस विशेष पर्व के द्वारा, हम सूर्य देवता के आशीर्वाद से भरा हुआ नया साल आरंभ करते हैं और अपने जीवन में नई ऊर्जा और सकारात्मकता के साथ अग्रसर होते हैं।
छठ पर्व इसे न मात्र एक पूजा के रूप में देखा जा सकता है, बल्कि एक समृद्धि और एकता का प्रतीक भी। छठ पूजा का यह अद्वितीय माहौल हमें हमारी अनुपम धरोहर की महत्वपूर्णता को समझाता है और हमें हमारे संस्कृति और परंपराओं के प्रति समर्पित बनाता है। छठ पूजा के दिन लोग विशेष रूप से स्नान, उपवास, और व्रत रखते हैं।
विशेष रूप से महिलाएं और बच्चे इस पूजा में भाग लेते हैं और अपनी भक्ति और आत्मशुद्धि के लिए प्रार्थना करते हैं। छठ पूजा के दिन निर्मित दीपावली के दीपों की भाँति खास दीपक बनाए जाते हैं और सूर्योदय और सूर्यास्त के समय इन दीपकों की रौशनी से तालाबों का वातावरण प्रशांत हो जाता है।
छठ पर्व के दिन बनाए जाने वाले व्रत के खाद्य और प्रसाद में दलिया, घाघरा, और ताजा फल शामिल होते हैं, जो अत्यंत सात्विक और पौष्टिक होते हैं। इसके अलावा, खासकर मिठा बनाने का रिवाज होता है, जो पूजा के दौरान प्रसाद के रूप में बाँटा जाता है।
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