गुजरात के सूरत शहर से एक दिल दहला देने वाला मामला सामने आया है, जहाँ एक 23 वर्षीय शिक्षिका पर 13 वर्षीय छात्र का अपहरण और उसके साथ कथित रूप से अवैध संबंध बनाने का आरोप लगा है। यह मामला न सिर्फ समाज को झकझोर देने वाला है, बल्कि यह भारत में बच्चों की सुरक्षा और महिला शिक्षकों की जिम्मेदारी जैसे गंभीर मुद्दों को भी उजागर करता है।

13 वर्षीय छात्र का अपहरण: मामला कब शुरू हुआ?
यह मामला तब सामने आया जब 25 अप्रैल को एक 13 वर्षीय छात्र और उसकी शिक्षिका लापता हो गए। छात्र के पिता ने Punagam पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज करवाई। इसके बाद पुलिस ने जांच शुरू की और 29 अप्रैल को दोनों को गुजरात-राजस्थान सीमा के पास शामलाजी नामक स्थान से खोज निकाला।
शिक्षिका को तुरंत न्यायिक हिरासत में लिया गया और Surat Central Jail में भेजा गया। यह पूरी घटना 13 वर्षीय छात्र का अपहरण मानी गई, जो कि कानूनन एक गंभीर अपराध है।
मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी (MTP) की अनुमति
इस मामले में एक नया मोड़ तब आया जब यह सामने आया कि शिक्षिका 22 सप्ताह की गर्भवती है। उसने विशेष POCSO कोर्ट में गर्भपात की अनुमति के लिए याचिका दायर की, जिसे 9 मई को मंजूरी दी गई। कोर्ट के आदेश पर शिक्षिका को SMIMER अस्पताल लाया गया जहाँ उसका गर्भपात किया गया।
डीएनए परीक्षण से खुलेगा रहस्य
गर्भपात के बाद भ्रूण के नमूने Forensic Science Laboratory (FSL) भेजे गए हैं ताकि यह पता लगाया जा सके कि भ्रूण का पिता कौन है। Punagam पुलिस इंस्पेक्टर वी.एम. देसाई ने बताया कि डीएनए रिपोर्ट आने के बाद इसे विशेष POCSO कोर्ट में प्रस्तुत किया जाएगा।
यह रिपोर्ट 13 वर्षीय छात्र का अपहरण और उसके साथ कथित यौन शोषण के आरोपों को पुष्ट या खंडित करने में अहम भूमिका निभाएगी।
पीड़ित छात्र की मानसिक स्थिति और काउंसलिंग
पुलिस ने बताया कि छात्र इस पूरे घटनाक्रम से मानसिक रूप से आहत था। उसकी 5 दिन तक मनोचिकित्सक से काउंसलिंग कराई गई। अब उसकी स्थिति स्थिर बताई जा रही है। यह दर्शाता है कि 13 वर्षीय छात्र का अपहरण सिर्फ शारीरिक ही नहीं, बल्कि मानसिक तौर पर भी कितना नुकसानदायक हो सकता है।

आरोपी की वर्तमान स्थिति
गर्भपात के बाद शिक्षिका की शारीरिक स्थिति कमजोर है, इसलिए उसे अभी अस्पताल में ही रखा गया है। पुलिस निगरानी में अस्पताल के वार्ड में सुरक्षा बढ़ा दी गई है ताकि आरोपी भाग न सके। जैसे ही उसकी तबीयत ठीक होगी, उसे दोबारा Surat Central Jail भेजा जाएगा।
कानून के प्रावधान और चार्जेस
शिक्षिका पर Bharatiya Nyay Sanhita की धारा 137(2) (अपहरण) और 127(3) (गलत तरीके से बंदी बनाना) के तहत केस दर्ज किया गया है। साथ ही POCSO एक्ट, जो कि नाबालिगों के संरक्षण के लिए बना है, उसमें भी मामले दर्ज किए गए हैं।
यह स्पष्ट है कि 13 वर्षीय छात्र का अपहरण भारतीय कानून में एक गंभीर अपराध है, और इसमें शामिल दोषी को कठोर सजा मिल सकती है।
निष्कर्ष
13 वर्षीय छात्र का अपहरण और फिर शिक्षिका द्वारा जेल में गर्भपात कराना, समाज और शिक्षा व्यवस्था के लिए एक गंभीर चेतावनी है। यह केस न सिर्फ कानूनी बल्कि नैतिक और सामाजिक दृष्टिकोण से भी अत्यंत संवेदनशील है।
इस केस की सही जांच, पीड़ित को मानसिक और कानूनी सहायता, और दोषी को उचित सजा मिलना बेहद जरूरी है। यह घटना हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि बच्चों की सुरक्षा के लिए समाज और प्रशासन को और भी ज्यादा सतर्क रहना होगा।
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