Operation Sindoor में कर्नल सोफिया कुरैशी का नाम आज हर देशभक्त भारतीय की जुबान पर है। 22 अप्रैल 2025 को कश्मीर के पहलगाम में हुए भयावह आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। इस हमले में 7 जवानों और 19 निर्दोष नागरिकों ने अपनी जान गंवा दी। लेकिन इस बार भारत ने चुप्पी नहीं साधी — Operation Sindoor के माध्यम से दुश्मनों को ऐसा जवाब दिया गया जो इतिहास में दर्ज हो गया।

👩✈️ कौन हैं कर्नल सोफिया कुरैशी?
Operation Sindoor में कर्नल सोफिया कुरैशी की भूमिका को समझने से पहले उनका परिचय जानना ज़रूरी है। गुजरात के एक साधारण परिवार से आने वाली कर्नल सोफिया भारतीय सेना की सिग्नल कोर की एक निपुण और सम्मानित अधिकारी हैं। उन्होंने न केवल देश और विदेश में कठिन सैन्य ट्रेनिंग पूरी की, बल्कि 2016 में वह पहली भारतीय महिला बनीं जिन्होंने अंतरराष्ट्रीय सैन्य अभ्यास Exercise Force 18 में भारत का नेतृत्व किया।
उनकी सैन्य सोच, संचार कौशल और तकनीकी समझ उन्हें भारतीय सेना के लिए अमूल्य बनाती है। Operation Sindoor में कर्नल सोफिया कुरैशी को विशेष रूप से इसलिए चुना गया क्योंकि वह युद्धकालीन संचार और इंटेलिजेंस समन्वय में माहिर हैं।
🎯 ऑपरेशन सिंदूर में रणनीतिक नेतृत्व
यह केवल एक जवाबी हमला नहीं था — यह रणनीति, साहस और सटीकता का प्रतीक था। भारत सरकार ने जब आतंकी ठिकानों पर व्यापक कार्रवाई का निर्णय लिया, तब Operation Sindoor में कर्नल सोफिया कुरैशी को ऑपरेशन का संचार केंद्र बनाया गया। उनके जिम्मे थे:
- टैक्टिकल कम्युनिकेशन की स्थापना
- रियल-टाइम इंटेलिजेंस साझा करना
- हर यूनिट के बीच निर्बाध समन्वय सुनिश्चित करना
24 मिसाइल हमलों को एक साथ अंजाम देना कोई आसान कार्य नहीं था। लेकिन कर्नल सोफिया ने यह सुनिश्चित किया कि एक भी यूनिट में देरी या भ्रम न हो। उन्होंने पूरे ऑपरेशन की निगरानी की और अंतिम आदेश तक मिशन कंट्रोल से जुड़ी रहीं। Operation Sindoor में कर्नल सोफिया कुरैशी का यह नेतृत्व भारत की सैन्य रणनीति में मील का पत्थर बन गया।
🗣️ ऐतिहासिक प्रेस ब्रीफिंग
अगले दिन जब भारत सरकार और सेना ने प्रेस के सामने आकर ऑपरेशन की जानकारी साझा की, तो देश ने एक ऐतिहासिक दृश्य देखा। पहली बार, दो महिला अधिकारी — कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह — ने देश को बताया कि भारत ने किस प्रकार आतंक के अड्डों को तबाह किया।
उनकी बातें सिर्फ आंकड़े नहीं थीं, बल्कि देश की सुरक्षा का जज़्बा थीं। उनके चेहरे पर आत्मविश्वास, लहजे में दम और नज़रों में देश के लिए समर्पण साफ़ झलक रहा था। Operation Sindoor में कर्नल सोफिया कुरैशी ने यह साबित किया कि नेतृत्व सिर्फ पुरुषों की बपौती नहीं है।
👑 Operation Sindoor में कर्नल सोफिया कुरैशी शक्ति का प्रतीक
ऑपरेशन सिंदूर में कर्नल सोफिया कुरैशी का योगदान केवल सैन्य क्षेत्र में नहीं, बल्कि सामाजिक दृष्टिकोण से भी ऐतिहासिक है। उन्होंने यह दिखाया कि जब बात देश की रक्षा की हो, तो कोई भी धर्म, लिंग या क्षेत्र मायने नहीं रखता — सिर्फ तिरंगा मायने रखता है।
सोफिया आज सिर्फ एक कर्नल नहीं हैं, वह भारत की बेटियों की उम्मीद हैं। उन्होंने साबित कर दिया कि महिलाएं न सिर्फ मोर्चे पर लड़ सकती हैं, बल्कि रणनीति बना सकती हैं, नेतृत्व कर सकती हैं और इतिहास भी रच सकती हैं।
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🏁 निष्कर्ष
ऑपरेशन सिंदूर में कर्नल सोफिया कुरैशी का नाम आने वाले समय में साहस, समर्पण और महिला शक्ति का पर्याय बनेगा। उन्होंने केवल आतंकवाद को जवाब नहीं दिया, बल्कि भारत की हर बेटी को यह संदेश दिया कि:
“वर्दी किसी की मोहताज नहीं — हिम्मत और हुनर हो तो देश की कमान संभालना संभव है।”