संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने घोषणा की है कि वे अपनी लंबित मांगों के लिए फिर से आंदोलन शुरू करेंगे। उनकी प्रमुख मांगों में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी और किसान कर्ज माफी शामिल हैं। एसकेएम के नेताओं ने कहा है कि सरकार ने उनकी मांगों को अनदेखा किया है और उन्हें मजबूरन फिर से आंदोलन करना पड़ रहा है। उन्होंने सरकार से जल्द से जल्द उनकी मांगों को पूरा करने का आग्रह किया है ताकि किसान समुदाय को राहत मिल सके।
मीटिंग में किसानों की मांग को लेकर चर्चा हुई
कल यानी 10 जुलाई को संयुक्त किसान मोर्चा ने अपनी एक जनरल बॉडी मीटिंग बुलाई जिसमें 17 राज्यों के किसान शामिल हुए। इस मीटिंग में किसानों की मांग को लेकर चर्चा हुई और यह फैसला लिया गया है कि, 16 से 18 जुलाई तक प्रधानमंत्री, विपक्ष के नेता और सभी सांसदों को किसानों की मांग का एक मेमोरेंडम सौंपा जाएगा।
इस मेमोरेंडम में MSP कानून, कर्ज माफी, फसल की बीमा, किसानों के पेंशन, बिजली के निजीकरण को बंद करने के साथ ही साथ सिंधु और टिकरी बॉर्डर पर शहीद किसानों का स्मारक बनाने की मांग रखी जाएगी। इतना ही नहीं किसानों की एक मांग यह भी है कि भारत पाकिस्तान रोड ट्रेड को फिर से खोला जाए।
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किसान नेता हनन मुल्ला ने कहा कि, मोदी सरकार ने हमारी सभी मांगें नहीं मानी थी। आंदोलन के दौरान जब हमारी उनसे बातचीत हुई तब उन्होंने हमारी मांगों को मानने की बात कही थी मगर अब तक उन्हें पूरा नहीं किया गया है। उन्होंने आगे कहा, ‘हमने बहुत पत्र भी लिए लेकिन सरकार की तरफ से कोई जवाब नहीं आया। अब हम अगले 2 महीने में संयुक्त किसान मोर्चा को और मजबूत करेंगे और अगर हमारी मांगों को पूरा नहीं किया गया तो पूरे देश में आदोंलन करने की योजना है।’