ब्रिटेन की जनता ने आम चुनाव को लेकर अपना फैसला सुना दिया है. इस चुनाव में लेबर पार्टी को बहुमत मिलता दिख रहा है. इस चुनाव में ऋषि सुनक की कंचर्वेटिव पार्टी को कड़ी शिकस्ता मिली है. लेबर पार्टी इस चुनाव में बड़ी जीत दर्ज की. बताया जा रहा है कि लेबर पार्टी 400 से ज्यादा सीटों पर जीत दर्ज कर सकते हैं. कंजर्वेटिव पार्टी बीते 14 साल से सत्ता में थी.
2019 में हुए आम चुनाव में कंजर्वेटिव पार्टी को 365 सीटें मिली थी, जबकि उस दौरान लेबर पार्टी को 202 सीटों पर जीत मिली थी. सत्ता से कजर्वेंटिव पार्टी के बाहर होने की कई अहम वजहें मानीं जा रही हैं. आज हम आपको बताने जा रहे हैं आखिर किन कारणों से ऋष सुनक की पार्टी को हार का सामन करना पड़ा है.
लेबर पार्टी से निष्कासित होने के बावजूद जेरेमी कोर्बिन ने बतौर निर्दलीय उम्मीदवार इस्लिंगटन नॉर्थ सीट से जीत हासिल की है। कॉर्बिन ने इस्लिंगटन निर्वाचन क्षेत्र में 24,120 वोटों के साथ जीत हासिल की। उन्होंने लेबर पार्टी के भारतीय मूल के उम्मीदवार प्रफुल नरगुंड से 7,247 वोट अधिक वोटों से हराया। 75 वर्षीय पूर्व लेबर नेता 10 बार सीट जीती जनप्रतिनिधि रह चुके हैं लेकिन इस चुनाव में, वह एक स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में खड़े हुए, क्योंकि 2020 में लेबर पार्टी से निकाल दिया गया था।
चुनाव में ऋषि सुनक की पार्टी को ब्रिटेन में रहने वाले भारतीयों का भी साथ नहीं मिला है
इस चुनाव में ऋषि सुनक की पार्टी को ब्रिटेन में रहने वाले भारतीयों का भी साथ नहीं मिला है. कहा जा रहा है कि सुनक की हार के पीछे की एक वजह भारतीय मूल के लोगों का गुस्सा भी है. आपको बता दें कि ब्रिटेन में मौजूदा समय में भारतीय मूल के 18 लाख के आसपास वोटर्स हैं. इनमें से 65 फीसदी लोग सुनक सरकार से नाराज चल रहे थे. सुनक के पीएम बनने के बाद इन भारतीय मूल के लोगों को एक उम्मीद जग गई थी, लेकिन सुनक उन उम्मीदों पर खड़े नहीं उतर सके.
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इन मुद्दों पर लड़ा गया ब्रिटेन का आम चुनाव
ब्रिटेन के आम चुनाव में जो मुद्दे सबसे ज्यादा चर्चा में रहे,
उनमें अर्थव्यवस्था,
स्वास्थ्य सेवाएं, अ
वैध प्रवासी मुद्दा,
आवास, पर्यावरण,
अपराध,
शिक्षा,
टैक्स के साथ ही ब्रेग्जिट भी प्रमुख मुद्दा रहा