यूपी की पीलीभीत लोकसभा सीट पर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने जितिन प्रसाद को टिकट दिया है, जबकि मौजूदा सांसद वरुण गांधी का टिकट कटा है. ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि उन्हें नई जिम्मेदारी दी जाएगी. कांग्रेस ने भी वरुण गांधी को ऑफर दिया है. उनका भविष्य क्या होगा? फिलहाल यह तय नहीं हो पाया है पर पीलीभीत सीट का इतिहास बदलना तय है, जहां साल 1996 से गांधी परिवार का कब्जा रहा है. वहां से वरुण गांधी की मां मेनका गांधी छह बार सांसद बन चुकी हैं, जबकि खुद वरुण गांधी दो बार वहां से एमपी चुने गए हैं.
वरुण गांधी की टीम ने साफ कर दिया है कि इस बार वरुण लोकसभा चुनाव ‘ नहीं लड़ेंगे। यानी कि निर्दलीय या फिर सपा और कांग्रेस के समर्थन से जो उनके उम्मीदवार बनने की अटकलें लगाई जा रही थीं, उन सब विराम लग गया है। वरुण की टीम ने बताया है कि पीलीभीत के सांसद चुनाव नहीं लड़ेंगे और सिर्फ अपनी मां के चुनाव प्रचार की ही जिम्मेदारी संभालेंगे। सूत्रों की मानें तो यदि वरुण बागी होकर चुनाव लड़ते तो उनकी मां मेनका की चुनावी राजनीति पर नकारात्मक असर पड़ सकता था। इसके उदाहरण रीता बहुगुणा जोशी और संघमित्रा मौर्य भी हैं। दरअसल, रीता बहुगुणा के बेटे मयंक जोशी ने यूपी विधानसभा चुनाव के दौरान समाजवादी पार्टी का दामन थाम लिया था। अब कयास लगाए जा रहे हैं कि लोकसभा चुनाव में प्रयागराज से सांसद रीता बहुगुणा जोशी का टिकट काटा जा सकता है।
पीलीभीत लोकसभा सीट पर मेनका गांधी ने पहली बार 1989 में चुनाव जीता था. 1996 में वह दूसरी बार वहां से सांसद बनीं और लगातार जीत हासिल करती रहीं. 2009 में पहली बार वरुण गांधी ने इस सीट से चुनाव लड़ा और वह भी वहां से जीते. 2014 में फिर मेनका वहां से सांसद चुनी गईं और 2019 में वरुण गांधी ने चुनाव जीता. अब वरुण या मेनका दोनों इस सीट पर चुनाव नहीं लड़ रहे हैं. ऐसे में 1996 के बाद से पहली बार इस सीट पर गांधी परिवार का कोई सदस्य सांसद नहीं होगा.