सूरत एयरपोर्ट बिल्डिंग विवाद एक बार फिर सुर्खियों में है। अहमदाबाद में हाल ही में हुए विमान हादसे के बाद, इस मुद्दे को लेकर चिंताएं और चर्चाएं तेज़ हो गई हैं। वर्षों से चल रहे इस विवाद का मूल कारण है – एयरपोर्ट के पास बनी ऊंची इमारतें, जो विमान की उड़ान और लैंडिंग के लिए बाधा बन रही हैं।
हालांकि इस मामले में कई तकनीकी व प्रशासनिक दस्तावेज़ों के आदान-प्रदान हुए हैं, फिर भी सूरत एयरपोर्ट बिल्डिंग विवाद का समाधान अब तक अधर में लटका है।
🏗️ सूरत एयरपोर्ट बिल्डिंग विवाद की पृष्ठभूमि
सूरत शहर में एयरपोर्ट के पास बन रही इमारतों को लेकर वर्ष 2017-18 में विवाद की शुरुआत हुई। यह आरोप लगा कि नगरपालिका (मनपा) ने कुछ इमारतों को गलत तरीके से बिल्डिंग यूसेज (BU) की अनुमति दे दी।
लेकिन मनपा ने साफ किया कि उसने एयरपोर्ट अथॉरिटी से NOC (अनापत्ति प्रमाणपत्र) लेने के बाद ही यह अनुमति दी। इसके बावजूद, विवाद इतना बढ़ा कि 27 प्रोजेक्ट को उड़ान में बाधा बताकर चिह्नित किया गया।
इनमें से 21 बिल्डर्स ने कोर्ट का रुख किया और दावा किया कि उन्होंने सभी आवश्यक अनुमति ली हैं, जिनमें BU, NOC और विभागीय स्वीकृतियां शामिल हैं। शेष 7 इमारतों को कोर्ट में चुनौती नहीं दी गई, लेकिन उन्हें ‘उपद्रवी निर्माण’ मानते हुए गिराने के आदेश दिए गए।
⚖️ प्रशासनिक टकराव: कौन जिम्मेदार है?
सूरत एयरपोर्ट बिल्डिंग विवाद के इस पूरे घटनाक्रम में एक बड़ा प्रश्न यह बना हुआ है कि आखिर इन इमारतों को गिराने की जिम्मेदारी किसकी है – कलेक्टर की या नगर पालिका की?
विमान नियम 147-48 के अनुसार, एयरपोर्ट अथॉरिटी जब किसी निर्माण को खतरा मानती है, तो वह कलेक्टर को पत्र लिखकर हटाने की प्रक्रिया शुरू करने का आदेश देती है।
कलेक्टर के पास मैनपावर और मशीन पावर नहीं होने के कारण यह कार्य नगर पालिका की सहायता से किया जाना है। लेकिन मनपा ने स्पष्ट किया है कि उसने BU की अनुमति NOC के बाद दी, और ध्वस्तीकरण उसकी जिम्मेदारी नहीं है।
हालांकि, मनपा ने हलफनामा देकर कहा है कि अगर कलेक्टर ध्वस्तीकरण करेंगे, तो वह मैनपावर और मशीनें उपलब्ध करवाएगी।
📄 हलफनामों और पत्राचार का चक्रव्यूह
दो साल पहले एयरपोर्ट अथॉरिटी ने कलेक्टर को पत्र भेजा था, जिसकी कॉपी सूरत महानगर पालिका को भी भेजी गई थी। मनपा का कहना है कि उसे अब तक कोई औपचारिक पत्र नहीं मिला है, जिसमें उसे ध्वस्तीकरण के लिए कहा गया हो।
सूरत एयरपोर्ट बिल्डिंग विवाद इसी भ्रम और जिम्मेदारियों के टाल-मटोल के चलते उलझता जा रहा है। नगर पालिका का दावा है कि वह सहयोग को तैयार है, लेकिन कलेक्टर की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।
✈️ विमान सुरक्षा बनाम विकास की होड़
इस विवाद ने एक अहम प्रश्न उठाया है – क्या शहरी विकास को विमान सुरक्षा से ऊपर रखा जा सकता है?
सूरत जैसे तेज़ी से बढ़ते शहर में, जहां हर इंच जमीन कीमती है, वहां ऊंची इमारतों का निर्माण आम बात है। लेकिन जब यह विकास हवाई यात्रियों की सुरक्षा पर खतरा बन जाए, तब समय पर निर्णय लेना बेहद जरूरी हो जाता है।
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🔍 निष्कर्ष: समाधान की राह
सूरत एयरपोर्ट बिल्डिंग विवाद का समाधान तभी संभव है जब सभी संबंधित विभाग आपसी समन्वय से काम करें।
- कोर्ट को स्पष्ट दिशा-निर्देश देने होंगे।
- एयरपोर्ट अथॉरिटी, कलेक्टर और नगर पालिका को पारदर्शी संवाद स्थापित करना होगा।
- और सबसे महत्वपूर्ण, हवाई सुरक्षा को प्राथमिकता देनी होगी।
यदि समय रहते समाधान नहीं हुआ, तो यह विवाद सिर्फ कानूनी नहीं बल्कि मानव जीवन की सुरक्षा से भी जुड़ा मुद्दा बन सकता है।