सूरत सीट से उम्मीदवार नीलेश कुम्भानी का नामांकन फॉर्म अमान्य हो गया है. कांग्रेस प्रत्याशी नीलेश कुंभानी के समर्थकों ने शपथ पत्र में दावा किया है कि नामांकन पत्र में समर्थक के तौर पर कुंभानी ने जो हस्ताक्षर किये हैं, वह उनके नहीं हैं. इसके बाद सूरत सीट पर हाईवोल्टेज ड्रामा शुरू हो गया, हालांकि कलेक्टर कार्यालय में चली लंबी सुनवाई के बाद आज हाईवोल्टेज ड्रामा खत्म हो गया है.
नीलेश कुम्भानी ने सूरत सीट से कांग्रेस उम्मीदवार के तौर पर पर्चा भरा. फिर कल (शनिवार) निर्वाचन विभाग की ओर से नामांकन पत्रों की जांच शुरू की गई. बीजेपी के चुनाव एजेंट दिनेश जोधानी ने नीलेश कुंभानी के समर्थकों के हस्ताक्षर पर आपत्ति जताई. उन्होंने चुनाव अधिकारी से शिकायत की कि नीलेश कुंभानी के फॉर्म में उनके डमी उम्मीदवार के समर्थकों के साथ-साथ उनके तीनों समर्थकों के हस्ताक्षर भी झूठे हैं. हालांकि, समर्थक तब चुनाव अधिकारी के समक्ष भी उपस्थित हुए और शपथ पत्र दिया कि उनके हस्ताक्षर झूठे हैं. फिर सारे समर्थक गायब हो गये. इसे लेकर चुनाव अधिकारी ने निलेश कुंभानी को फॉर्म रद्द करने या नहीं करने को लेकर कारण बताओ नोटिस भेजा है. इसके बाद नीलेश कुंभानी और उनके वकील चुनाव अधिकारी के सामने पेश हुए। इस बीच कांग्रेस ने एक दिन का समय और मांगा था, जिससे चुनाव अधिकारी ने आज (रविवार) सुनवाई की. इस दौरान चार गायब समर्थक मौजूद नहीं थे, सूरत जिला कलेक्टर और चुनाव अधिकारी ने नीलेश कुंभानी का फॉर्म रद्द कर दिया. उधर, कांग्रेस ने इस फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट जाने की तैयारी कर ली है.
नीलेश कुंभानी के मामले में सूरत कलेक्टर कार्यालय में सुनवाई पूरी हो गई है और फॉर्म रद्द कर दिया गया है. इससे पहले नीलेश कुंभानी का बचाव करते हुए बाबू मंगेकिया ने कहा था कि हमारे चारों समर्थकों का अपहरण कर लिया गया है. उधर, असलम साइकिलवाला ने आरोप लगाया कि कुंभानी ने टिकट का सौदा किया था।