नीलेश कुम्भानी को कांग्रेस से निलंबित कर दिया गया है. पार्टी ने कुंभाणी को छह साल के लिए कांग्रेस से निलंबित करने का फैसला किया है। कुंभानी को फॉर्म इनवैलिडेशन की लापरवाही के चलते सस्पेंड किया गया है. यह भी कहा गया है कि उनके बीजेपी से जुड़े होने की बात साफ है. कुंभाणी को पार्टी को कोई स्पष्टीकरण नहीं देने के कारण निलंबित कर दिया गया है. कांग्रेस अनुशासन समिति ने कुंभानी को निलंबित करने का फैसला किया है.
कांग्रेस ने नीलेश कुंभाणी पर लोकसभा चुनाव में बीजेपी से मिलीभगत करके का आरोप लगाया है। बता दें कांग्रेस कमेटी की अनुशासन समिति ने इस मामले पर सभी तथ्य एकत्रित किए। जिसके बाद समिति की बैठक हुई, बैठक में नीलेश को मामले में लापरवाही बरतने का दोषी पाया गया। समिति ने कहा कि 21 अप्रैल को जब कुंभाणी का नामांकन रद्द हुआ उन्होंने लापरवाही बरती और अंदरखाते बीजेपी का साथ दिया।
सौराष्ट्र के बड़ी संख्या में पाटीदार समाज के लोग सूरत स्थायी हुए हैं। ऐसे में पार्टी की यह आशा थी कि पाटीदार समाज के प्रतिनिधि के तौर पर कुंभाणी काम करेंगे। इसके विपरीत कुंभाणी का नामांकनपत्र खारिज होने में कुंभाणी की ही सम्पूर्ण रूप से लापरवाही या भाजपा के साथ मिलीभगत के हालात स्पष्ट रूप से दिखाई देते हैं। इसके बावजूद न्याय के सिद्धांत के अनुसार पार्टी की ओर से कुंभाणी के पक्ष जानने के लिए उन्हें स्पष्टता करने का समय प्रदान किया था लेकिन कुंभाणी नाटकीय रूप से गायब हो गए। पार्टी के समक्ष उन्होंने किसी तरह का खुलासा नहीं किया। इससे पार्टी उन्हें छह साल के लिए निलंबित करने का निर्णय करती है। पार्टी ने कुंभाणी के फॉर्म रद्द होने को दुर्भाग्यपूर्ण घटना करार दिया है।
कांग्रेस पार्टी ने बयान में कहा है कि कुंभाणी को अपना पक्ष रखने का समय दिया गया था, लेकिन वे नाटकीय तरीके से गैरहाजिर रहे। उन्होंने इस मामले पर पार्टी को कुछ भी नहीं बताया है। लोकसभा कैंडिडेट के तौर नामांकन रद्द होने काफी गंभीर और दुर्भाग्यपूर्ण है। इससे लोकतंत्र के महाचुनाव में पहली बार मतदान करने जा रहे 18 साल के युवा मतदाता को भी निराशा हाथ लगी है। इस तरह की स्थिति बेहद शर्मनाक है। सूरत में इस पूरी घटना के बाद काफी गुस्सा भी देखने काे मिला रहा है। कुंभाणी 21 अप्रैल से लापता हैं। उनकी तरफ से कोई अपडेट सामने नहीं आया है।