यह एक bitter सच है कि हमारे देश में लाखों गरीब परदेसी मजदूर हर साल अपनी मेहनत के लिए दूर-दूर के शहरों में काम करने आते हैं। ये मजदूर 11 महीने अपने परिवार से कोसों दूर रहकर काम करते हैं, अपनी मेहनत से कुछ पैसे इकट्ठा करते हैं, ताकि त्योहारों पर अपने परिवार के पास जा सकें। दीपावली और छठ पूजा जैसे महत्वपूर्ण अवसरों पर उनका घर जाने का सपना सालभर बुनते हैं। लेकिन जब त्योहार का समय आता है, तो उनकी मेहनत के पीछे की कठिनाइयाँ सामने आ जाती हैं। surat
जब ये मजदूर अपने घर जाने की योजना बनाते हैं, तो उन्हें यह सुनिश्चित करना होता है कि वे ट्रेन की टिकट हासिल कर सकें। इसके लिए उन्हें 24 घंटे पहले Surat स्टेशन पर लंबी कतार में खड़ा होना पड़ता है। यह एक ऐसा संघर्ष है जो सिर्फ स्थान की कमी नहीं, बल्कि सिस्टम की असफलता का भी प्रतीक है। कई बार, कई दिनों तक इंतजार करने के बाद भी, उन्हें ट्रेन में जगह नहीं मिलती। पैसे खर्च करके भी उन्हें रेल सेवा का लाभ नहीं मिल पाता, जो उनके हक का है।
भारत के विभिन्न राज्यों में हालात भिन्न हैं, लेकिन मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और ओडिशा जैसे राज्यों के लोगों के साथ यह समस्या विशेष रूप से गंभीर है। ये मजदूर सिर्फ अपने अधिकारों के लिए नहीं, बल्कि अपने परिवारों के साथ त्योहार मनाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। यह एक ऐसा सवाल है जिसका जवाब हर वह परदेसी मजदूर जानना चाहता है जो हर साल अपने गांव जाने के लिए कई दिन पहले से तपस्या करता है। Surat
हमारे देश में बड़े-बड़े नेता अपने भाषणों में गरीबों की समस्याओं का जिक्र करते हैं, लेकिन वास्तविकता यह है कि ये नेता कभी भी उन मजदूरों की मुश्किलों पर ध्यान नहीं देते। उनके लिए गरीबों का वोट सिर्फ चुनावी लाभ का साधन है। उनके भाषणों में मुद्दे होते हैं, लेकिन उनके कार्यों में गरीबों के कल्याण के लिए कोई ठोस कदम नहीं दिखाई देता।
Surat से 2200 बसों का संचालन किया गया है
गुजरात राज्य की सरकार का विशेष धन्यवाद करना चाहिए, जिसने कम से कम इन गरीबों के लिए रोजगार के अवसर पैदा किए हैं। गुजरात मॉडल की चर्चा करने वाले नेता अक्सर गुजरात के प्रशासन की सफलता की ओर क्यों ध्यान नहीं देते? वहां Surat से 2200 बसों का संचालन किया गया है, ताकि लोग दिवाली जैसे बड़े त्योहार को अपने परिवार के साथ खुशी-खुशी मना सकें। यह एक सकारात्मक पहल है, जो दिखाता है कि कैसे राज्य प्रशासन ने अपने नागरिकों की खुशियों और सुरक्षा को प्राथमिकता दी है। Surat
गुजरात की सरकार और राज्य नेता अपने नागरिकों की खुशियों के लिए काम कर रहे हैं, जबकि अन्य राज्यों के नेता सिर्फ सत्ता की दौड़ में जुटे रहते हैं। यह असमानता कहीं न कहीं हमारे समाज में एक बड़ा सवाल खड़ा करती है—क्या नेताओं का कर्तव्य सिर्फ चुनाव जीतना है, या उन्हें समाज के हर वर्ग के उत्थान के लिए भी सोचना चाहिए? Surat
अंत में, यह जरूरी है कि हम सब मिलकर इस मुद्दे पर विचार करें और अपने नेताओं से सवाल करें। हमें अपने समाज के सबसे कमजोर वर्गों की आवाज बनना होगा। यह सिर्फ मजदूरों का मुद्दा नहीं है; यह समाज की सामाजिक और आर्थिक न्याय की लड़ाई है। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि हर मजदूर को त्योहारों पर अपने परिवार के पास जाने का हक मिले, बिना किसी संघर्ष के।
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इस दिवाली, हमें उन गरीब मजदूरों की याद करनी चाहिए, जो अपनी मेहनत से हमारे समाज का आधार बनाते हैं। उनके हक और उनकी खुशियों का सम्मान करना हमारा कर्तव्य है। धनतेरस की शुभकामनाएँ!